इस ब्लॉग में आपको मिलेंगे आसान और दिल छूने वाले प्रेरणादायक विचार, भक्ति से जुड़े अच्छे सुविचार, जीवन की मुश्किलों से लड़ने की ताकत देने वाले विचार, और मोटिवेशन से भरे कोट्स – वो भी पूरी तरह हिंदी में। हर दिन कुछ नया पढ़ें जो आपको हिम्मत दे, सुकून दे और आगे बढ़ने की ताकत दे।

रविवार, 18 मई 2025

thumbnail

ईमानदारी का इनाम (Reward for Honesty Hindi Story)

बहोत समय पहले की बात है... जब इंसान की पहचान उसके ईमानदारी से होती थी… और एक कुल्हाड़ी, किस्मत बदलने का कारण बन गई।

हरिया नाम का एक आदमीं किसी गाँव में रहता था जो एक  लकड़हारा था . वो हर सुबह उठकर जंगल जाता था , पेड़ कटता था और पेड़ के लकडियो को बजार में लेजाकर बेच कर उसे जो भी पैसे मिलते थे उसी से वो अपने परिवार का पालन पोसर करता था । 


एक दिन जंगल में वो नदी के किनारे पेड़ काट रहा था तभी उसका कुल्हारी नदी के पानी में गिर गया । तभी वो चिंता में डूब गया क्योंकि उसके पास दूसरी कुल्हाड़ी ख़रीदने के लिए पैसे नहीं थे। वो बहोत हे ज्यादा गरीब था बहोत हे मुस्किल से दो टाइम का खाना इक्कठा कर पता था । वो नदी के किनारे बैठ कर जोर जोर से रोने लगा .

तभी नदी से एक देवी प्रकट हुईं . उनके हाथ में थी एक चमचमाती… सोने की कुल्हाड़ी। देवी ने पूछा, 'बेटा, क्या ये तुम्हारी कुल्हाड़ी है? 

हरिया ने देवी को देखा और उनसे सच-सच बोला नहीं देवी माँ  ये मेरी कुल्हाड़ी नहीं है  मेरी तो लोहे की साधारण सी कुल्हाड़ी थी।

तभी देवी फिरसे पानी में गयी और इस बार देवी चाँदी की कुल्हाड़ी अपने साथ लेकर आईं। और फिरसे हरिया से उन्होंने पूछा क्या ये चांदी की कुल्हाड़ी तुम्हारी है हरिया ने फिर कहा… 'नहीं माता जी… ये भी मेरी नहीं है।

देवी फिरसे पानी में गयी और इस बार उन्होंने आख़िरकार लोहे की कुल्हाड़ी अपने साथ लेकर के आईं।
अपनी लोहे की कुल्हाड़ी को देख कर  हरिया की आँखों में चमक आ गई… और वो खुशी से बोला 'हां माता जी, यही मेरी कुल्हाड़ी है।

देवी को हरिया की ईमानदारी देख कर बहोत खुशी हुई और मुस्कुराते हुए उन्होंने हरिया से कहा … 'बेटा, तुम्हारी ईमानदारी से मैं बहुत खुश हूं।
यह तीनों कुल्हाड़ियाँ — सोने, चाँदी और लोहे की — अब तुम्हारी हैं।

हरिया ने कभी सोचा भी नहीं था कि सच्चाई इतनी बड़ी इनाम दे सकती है।
वो आज भी वैसे ही मेहनत करता है और पूरी ईमानदारी से लकड़ी काट के अपना घर चलता है।

कहानी से क्या सीख मिलती है?

1. ईमानदारी सबसे बड़ी पूंजी है:
हरिया चाहता तो आसानी से झूठ बोलकर सोने या चाँदी की कुल्हाड़ी ले सकता था, लेकिन उसने सच बोलना सही समझा । उसकी ईमानदारी का फल यह हुआ कि उसे सब कुछ मिल गया।

2. लालच बुरी बला है:
अगर हरिया झूठ बोलता और सोने की कुल्हाड़ी को अपनी बता देता, तो देवी उसे कुछ भी नहीं देतीं। वह अपना भरोसा खो बैठता। इसलिए हमें कभी भी लालच में नहीं आना चाहिए।

3. मेहनत का फल मीठा होता है:
हरिया ने कभी भी कोई शॉर्टकट नहीं अपनाया। वह रोज़ जंगल जाता, पसीना बहाता और अपने परिवार के लिए कमाता था। उसका परिश्रम ही उसकी पहचान थी।

4. भगवान सब देखता है:
इस कहानी में देवी प्रतीक हैं उस शक्ति की, जो हमारे कर्मों को देखती है। जब हम सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं, तो प्रकृति, परमात्मा या ब्रह्मांड किसी न किसी रूप में हमारी मदद ज़रूर करता है।

5. आत्मसम्मान सबसे महत्वपूर्ण है:
हरिया ने ईमानदारी से न सिर्फ़ देवी को प्रसन्न किया बल्कि खुद का आत्मसम्मान भी बनाए रखा। उसे कोई पछतावा नहीं हुआ क्योंकि उसने अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया।



Subscribe by Email

Follow Updates Articles from This Blog via Email

No Comments

© 2025 Zindagi Ki Seekh. All rights reserved. Created with ❤️ by Pankaj Kumar