बिहार के एक छोटे से गाँव में अर्जुन नाम का एक लड़का रहता था , जहाँ पर बिजली भी रोज़ नहीं आता था और वो जिस स्कूल में पड़ने जाता था वंहा की बिल्डिंग भी अधूरी थी । उसके पिता घर चलाने के लिए खेतों में मजदूरी करते थे और मां दूसरों के घर में बर्तन माजने जाती थीं। घर में कभी दूध नहीं आता था, लेकिन मां रोज़ एक गिलास गरम पानी में हल्दी डालकर कहती थीं – “बेटा, यही अमृत है, लो पी लो और पढ़ाई में मन लगाओ।”
अर्जुन ने कभी स्कूल बैग नहीं मांगा, किताबें पुरानी मिलती थीं, लेकिन आंखों में सपना चमकता था – “एक दिन जरुर कुछ बनकर दिखाऊंगा।” गाँव के टीचर कहते थे, “ये लड़का एक दिन कमाल करेगा।”
दसवीं की परीक्षा में टॉप किया, लेकिन जब आगे की पढ़ाई के लिए शहर जाना पड़ा तो पैसे नहीं थे। अर्जुन ने खुद ही ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया, दिन में पढ़ाई और रात में बच्चों को पढ़ाना। कभी-कभी भूखा भी सोया, लेकिन हार नहीं मानी।
फिर एक दिन उसे एक लैपटॉप मिला – पुराना, टूटा-फूटा, लेकिन इंटरनेट से जुड़ा। वहीं से उसने कोडिंग सीखी, यूट्यूब से फ्री कोर्स किए और फिर एक दिन, एक बड़ी IT कंपनी में उसे जॉब मिल गई – ₹25,000 महीने से शुरुआत हुई।
आज अर्जुन की खुद की एक Tech कंपनी है, 50 से ज्यादा लोग काम करते हैं और turnover करोड़ों में है।
पर आज भी जब मां से बात करता है, तो कहता है –
“मां, उस हल्दी वाले पानी में ही असली ताकत थी।”
💡 इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
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सपने गरीब नहीं होते, सोच होनी चाहिए बड़ी।
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मुश्किलें आएंगी, लेकिन जो टिकता है वही जीतता है।
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ज्ञान सबसे बड़ा हथियार है, पैसे के बिना भी सीखा जा सकता है।
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जो आज संघर्ष कर रहा है, वही कल कहानी बनेगा।
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मां-बाप का आशीर्वाद और खुद पर भरोसा – यही असली पूंजी है।

